....तो कोतमा में गैर-हकदार और अहस्तांतरित भूमि की होती है रजिस्ट्री और नामांतरण?
अनूपपुर राजस्व विभाग में मची भर्रेशाही, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को नहीं कोई परवाह
पटवारी और अधिकारी की मिलीभगत से गैर हकदार भूमिका हुआ नामांतरण,बना पट्टा
इन्ट्रो:- अनूपपुर जिले की अनूपपुर और कोतमा तहसील सहित अन्य जगहों पर भू माफियाओं द्वारा शासकीय भूमि की अवैध रूप से कब्जा और क्रय विक्रय का मामला कई वर्षों से सामने आरहा है। विगत कई वर्षों से कोतमा और अनूपपुर तहसील अंतर्गत गैर-हकदार अहस्तांतरित भूमियों का हस्तांतरण और नामांतरण तेजी से किया जा रहा है। जिसमें आला अधिकारियों के साथ पटवारी,आरआई, तहसीलदार भी मिलकर गैर हकदार और अहस्तांतरित भूमियों का रजिस्ट्री कर पट्टा भू माफियाओं के नाम पर बनवा दिया जाता है। कोतमा की गैर हकदारों की भूमि जो भू माफियाओं के कब्ज़ा का शिकार हो गई है और बड़ी-बड़ी बाउंड्री उसके साथ-साथ पक्के मकान भी गैर हकदार की कृषि के लिए आवंटित भूमियों पर बन गए हैं।
अनूपपुर:- अनूपपुर जिले के पुलिस कॉलोनी, सीतापुर, अनूपपुर आईटीआई रोड, आरटीओ रोड जेल बिल्डिंग के पीछे सहित कोतमा तहसील के वार्ड नंबर 7 में बाईपास के समीप लगभग 20 एकड़ भूमि को अवैध प्लाटिंग कर राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर भेज दी गई है जिस पर मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के किसी भी नियमों का पालन नहीं किया गया और ना ही किसी भी भूमि के विक्रय में कॉलोनाइजर वा रेरा के नियमों का पालन हुआ है। वही कोतमा में गैर हकदार और अहस्तांतरित भूमियों की पटवारी,आरआई और एसडीएम से मिलीभगत कर बकायदा रजिस्ट्री कर नामांतरण भी कर दिया गया जोकि शक के घेरे में आ गया है कई वर्षों से लगातार गैर हकदार भूमि के रजिस्ट्रेशन और नामांतरण को लेकर कलेक्टर और एसडीएम से शिकायत की जाती रही है लेकिन किसी भी प्रकार की कार्यवाही अब तक भू माफियाओं के ऊपर नहीं हुई है।
तात्कालिक पदस्थ अधिकारियों ने किया घोटाला
कोतमा हाईवे बाईपास के समीप खसरा नंबर 294/4, 259/2/1, 296/11/क, 297/6, 297/8 की भूमि जो कि पूर्व में कृषक जय राम केवट, भूपति अहिर, छोटू अहिर, पछुआ अहिर आदि को कृषि के लिए आवंटित की गई थी ज्योति पूर्णता: गैर हकदार खसरे एवं पट्टे पर दर्ज थी। बावजूद इसके मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के नियम एवं कानून को को दरकिनार करते हुए गैर हकदार और अहस्तांतरित भूमियों का बकायदा नामांतरण कर रजिस्ट्री कर दी गई है। उक्त गैर हकदार और अहस्तांतरित भूमि को कोतमा वार्ड नंबर 7 में निवासरत स्वर्गीय अजीमुद्दीन मुसलमान उर्फ भोचु और उनके दर्जनों परिवार के सदस्यों के नाम पर तात्कालिक पटवारी और एसडीएम ने बिना कलेक्टर की अनुमति के भूमियों को स्थानांतरित करते हुए नामांतरण भी कर दिया। गैर हस्तांतरित भूमियों को भोचु जैसे भू माफियाओं को पटवारी और अधिकारियों ने मिलीभगत कर कौड़ी के दाम पर बेच दी गई है।
कोतमा भू-माफियाओं के लिए बना हॉटस्पॉट
कोतमा हाईवे बाईपास के पास स्थित लगभग 20 एकड़ कृषि के लिए आवंटित की गई थी जिसमें अधिकतर भूमि गैर हकदार थी जिस भूमि पर भू माफियाओं की नजर लंबे समय से थी। उक्त भूमि को पटवारी और अधिकारियों की मिलीभगत से गैर हकदार भूमि को भी खरीद फरोख्त कर रजिस्ट्री कर पट्टा बनाकर उसका नामांतरण करवा दिया गया है। गैर हकदार भूमि को कोतमा के वार्ड नंबर 7 में रहने वाले अजीमुद्दीन और उसके परिवार के नाम कर दी गई है। वर्ष 2012 के बाद से लगतार गैर हकदार भूमियों का कोतमा के पटवारियों के सह से नामांतरण हो गया है। कई बार शिकायत के बाद भी कार्यवाही नही किये जाने से भू माफियाओं का हौसला बुलंद है यही कारण है कि भू माफियाओं के लिए कोतमा हॉटस्पॉट बना है।
एसडीएम तथा कलेक्टर से हुई शिकायत, कार्यवाही सिफर
हाल ही में उक्त मामले को लेकर एसडीएम और कलेक्टर से कई बार शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन शिकायतों पर किसी प्रकार की कार्यवाही ना होने से हितग्राहियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई मामले में तो उक्त जगह पर स्थित भूमि भी कागजो में रहता है लेकिन वर्तमान स्थिति में भूमि का अता पता नहीं है। खतरे पट्टे में तो भूमि काबिज है लेकिन वस्तु स्थिति में भूमि उक्त जगह पर मौजूद ही नहीं है। वही माफियाओं ने बाउंड्री वाल और घर बनाकर भूमियों को निगल सा लिया है। वही 1993 के बाद कई व्यक्तियों ने उक्त जगह की भूमि खरीदी थी जिनकी भूमि अब उक्त जगह पर मौजूद ही नहीं है पर कागजों पर भूमिका अता पता जरूर है। इसकी शिकायतें बार-बार की जाती हैं पर शिकायतें सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती।
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