षड़यंत्रः- ‘तीतर‘ सारे मिलकर मार रहे इक ‘बाज‘, ‘जयचंदों‘ से हारा फिर इक ‘पृथ्वीराज‘
चुनावी विष्लेषणः- दोष कमल पर मढ़ने कमलवीरों ने कमल फूल की डुबाई नइयां...इन्ट्रोः-भारतीय जनता पार्टी शहडोल नगर पालिका चुनाव में अपना अध्यक्ष नहीं बना पाई लेकिन उपाध्यक्ष अध्यक्ष से ज्यादा वोटो से जीता इसका चुनावी विष्लेषण देर से ही सही हम आप तक पहुंचे हैं कि कैसे सारे जयचंदों ने मिलकर षड़यंत्र के तहत कमलप्रताप को डुबाने के प्रयास में पार्टी को ही डुबो दिया और फिर सोषल मीडिया में अपनी और अपनी ही पार्टी की स्वयं और स्वयं के गुर्गो से जमकर फिरकिरी करवाई और अपनी कुर्सी के लिए सारे जयचंदों एकत्र कर पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया।
शहडोल(गजेंन्द्र परिहार):- धनपुरी में कांग्रेस पार्षद को बहुमत प्राप्त था तब कमलप्रताप के अथक प्रयास से वहां अध्यक्ष भाजपा का बैठाया गया कम शब्दों में कहे तो कमलप्रताप ने हारी बाजी को जीतकर भाजपा पार्टी और पार्टी प्रत्याषी को बाजीगर बना दिया लेकिन इसके विपरीत शहडोल जिले में जहां भाजपा को बहुमत प्राप्त था वहां कुर्सी की लालच और कमल और पार्टी के बढ़ते कद से नाराज पार्टी के जयचंदों ने पार्टी की नईया डुबाते हुए अपनी नाव पार लगाई और कमल को डुबाने के फेर में पार्टी की नईया ही डुबा दी और अब वहीं जयचंद्र गली चौराहों में अपने ही पार्टी और पार्टी के जिला अध्यक्ष की बुराई करते दिखाई पड़ रहे है।
पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई
संगठन ने भारतीय जनता पार्टी का जिला अध्यक्ष लगभग ढाई वर्षों पूर्व कमलप्रताप सिंह को मनोनित किया कमलप्रताप सिंह ने भी पार्टी का कद ऊंचा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी इस दौरान कमल को कई बार नाकारात्मक और विरोधी गतिविधियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन इन दिनों पार्टी में एक नहीं मानो कई अध्यक्ष हो गए है। शहडोल की ही वरिष्ठ भाजपा नेत्री को प्रदेष सरकार ने महिला वित्त एवं विकास निगम का अध्यक्ष मनोनित किया गया तो वर्तमान चुनाव में निगम की अध्यक्ष श्रीमती अमिता चपरा के दखल की काफी चर्चा रही तो वहीं पार्टी गतिविधियों में प्रभारी मंत्री और उनके चहेतो का भी दखल बताया जाता रहा कम शब्दों में कहे तो पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई इस चुनाव में चरम पर रही हालाकि पार्टी गतिविधियों में अन्य का दखल आंषिक होना चाहिए किन्तु इसके विपरीत.... बाकि आप स्वयं समझदार है।
चुनाव रथ से नदारत सारथी
भले ही अर्जुन कितना बडा भी तीरनदाज रहा हो लेकिन अपने सारथी वासुदेव कृष्ण के बिना अर्जुन महाभारत का विकराल युद्ध नहीं जीत पाता लेकिन शहडोल में चुनावी घमासान के दौरान पार्टी का रथ खीचने वाले कमलप्रताप हमेषा अकेले ही नजर आए है पार्टी ने अपना सेम्बल देकर बतौर जनप्रतिनिधि विधायक सांसद कई को कुर्सी दिलाई लेकिन चुनावी घमासान में पार्टी का रथ खीचने कोई भी जिम्मेदार सारथी बनने सामने नहीं आया बल्कि इसके विपरीत मामा सकुनी बन अपने-अपने गढ़ से पार्टी विरोधी आग को हवा देने का काम करते रहे है उम्मीदवारों की सिफारिस टिकट हेतु सबने की लेकिन रण में सामने कोई नहीं आया फिर चाहे वह विधायक हो सांसद हो या मंत्री सब ने सिर्फ खाना पूर्ती ही की कुछ खुलकर वार्ड मौहल्लों पर प्रचार हेतु पहंुचे अपनी कोषिस की लेकिन बाकि कमल की नइया हाथ के हाथ चुनाव के साथ डुबाने में व्यस्त रहे।
जयचंदों से हारा पृथ्वीराज
कमलप्रताप के कार्यकाल को अब तीन वर्ष पूर्ण होने को है कमल के पूर्व कमल की गद्दी के दर्जनों हकदार अपनी दावेदारी पेष कर रहे थे पार्टी ने कमल पर भरोसा जताया जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के चुनाव में कमलप्रताप ने पार्टी के भरोसे पर मोहर भी लगाई लेकिन फिर से एक बार कमलप्रताप के कार्यकाल को कलंकित करने पार्टी के सारे जयचंद्र एक हुए और कथित महामहीम के साथ मिलकर आंतरिक रूप से कमल के बढ़ते कद से नाराज होकर पार्टी के खिलाफ ही षड़यंत्र कर डाला सूत्रों की माने तो पूर्व में ही भाजपा पार्षद और कांग्रेस मठाधीषो में करार की सुगबुगाहट थी जिस पर अंततः मोहर लग ही गई और पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हुए एक तीर से तीन निषाने साधे गए कमल की कुर्सी, प्रकाष की अध्यक्षी, और अपनी गद्दी फिर एक विषेष समुदाय के पार्षदों ने हुकुम मेरे आका की तर्ज पर भाजपा को चुनाव हरा दिया अंततः भाजपा चुनाव हार गई।
ऐसा रहा कमल का कार्यकाल
ऐसा नहीं है कि कमलप्रताप का कार्यकाल पूर्णतः बेदाग ही रहा समर्थको द्वारा जन्म दिन पर लड्डूओं से तौले जाने के मामले में कमल ने पूरे प्रदेष में सुर्खिया बटोरी लेकिन इसके विपरीत ब्यौहारी, धनपुरी, बुढ़ार, बकहो नगर परिषदों में जीत कमल के कार्यकाल की उपलब्धी रही इसके अलावा विभिन्न जनपदों के चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने कमल ने कसर नहीं छोड़ी। जिला पंचायत में निर्विरोध श्रीमती प्रभा विमलेष मिश्रा का अध्यक्ष निर्वाचित होना भी भाजपा की बड़ी जीत रही इसके अलावा कमल के ही कार्यकाल में शहडोल नपा में 18 पार्षदों ने अपनी जीत दर्ज की। हालाकि कथित स्वार्थी नेताओं ने अध्यक्ष नहीं बनने दिया लेकिन इसके जिम्मेदार कथित पार्टी के गद्दार जयचंद्र नेता ही है।
हार का कौन जिम्मेदार
हम यह नहीं कहते की कमलप्रताप पाकसाफ और भगवान भोलेनाथ तरह पवित्र है कमलप्रताप पर समय-समय पर पार्टी नेताओं पर विशेष मेहरबानी की चर्चा रही है लेकिन यह भी सत्य है कि भाजपा के लिए कमल ने कई चुनावी जंग जीती है अब सवाल यह उठता है कि इस हार का जिम्मेदार कौन है तो पार्टी के शीर्ष नेताओं का कार्य है कि पार्टी के भीतर छुपे जयचंदों की पुष्टि कर आगामी चुनावों के लिए उन पर पाबंदी लगाए और शीर्ष कुर्सी धारियों शासन के अंग जिनके जबरन हस्ताक्षेप एवं अपने उम्मीदवारों के पक्ष लेने व निर्णय से नाराज होकर विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले मठाधीशों के संगठन में हस्ताक्षेप पर भी पाबंदी लगाई जाए।
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