भोपाल पहुंची जांच रिपोर्ट - जांच के राज बाहर आने बाकी..! आखिर जिम्मेदार अधिकारी कब करेंगे कार्यवाही या फिर साहब के रसूक के आगे कार्यवाही फीकी
रिटायरमेंट के पहले वनमंडला अधिकारी ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार को दे रहे अंजाम, सीसीएफ के समक्ष हुई थी शिकायत
आधा दर्जन वन परिक्षेत्र अधिकारियों ने दबाव व मानसिक प्रताड़ना की किये थे शिकायत, महीनो बीतने के बाद जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते के हवाले
दबाव बनाकर भ्रष्टाचार को दे रहे वनमंडला अधिकारी श्री प्रजापति अंजाम, उच्च अधिकारियों का मिला अभयदान, जांच तक सीमित कार्यवाही
खरीदी मामले में लगभग करोडो का भ्रष्टाचार, शिकायत पर जांच के बाद भी रसूक के दम पर कार्यवाही लंबित
इंट्रो:- शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले में जबसे वन मंडल अधिकारी के रूप में एस.के प्रजापति ने पदभार ग्रहण किया है तब से श्री प्रजापति कभी अपने परिक्षेत्र अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना व कभी दबाव बनाकर भ्रष्टाचार को अंजाम देना आम बात सी हो गई है इस प्रकार दबाव व मानसिक प्रताड़ना की वजह से वन परिक्षेत्र अधिकारियों का कार्य करना दूबर हो गया है मुख्य वन संरक्षक को मौखिक शिकायत के बाद भी राहत न मिलने से बीते महीने आधा दर्जन वन परिक्षेत्र अधिकारियों ने लिखित शिकायत कर जांच और न्याय की मांग की गई थी लेकिन साहब के रसूक के सामने उच्च अधिकारी जांच के बाद मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिये लेकिन स्थिति ज्यो कि त्यों बनी हुई प्रतीत हो रही है!
शहडोल():- यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जिस अधिकारी को एक जिम्मेदार पद मे बैठने के बाद अपने अधीनस्थ कर्मचारीयों के ऊपर दबाव बनाकर अपने मनमानी ढंग से मानसिक प्रताड़ना करते हुए स्वहित में भ्रष्टाचार करने के लिए मजबूर करना वह गलत काम न करने पर अनर्गल आरोप लगाते हुए शिकायत करना उच्च पद की गरिमा को कलंकित करने के बराबर है ऐसा ही एक मामला बीते दिनों वन मंडल अधिकारी अनूपपुर एस.के प्रजापति के विरुद्ध बीते महीने जिले के आधा दर्जन वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित होकर मुख्यमंत्री संरक्षक शहडोल के समक्ष शिकायत कर न्याय की मांग की गई साथ इस तरह के रवैया के कारण क्षेत्र के साथ-साथ पूरा जिला भी प्रभावित होता दिखाई दे रहा है लेकिन उच्च अधिकारी उक्त मामले में जिस तरह जांच करने के बाद चुप्पी सादे बैठे हैं तो यह कहना भी गलत नहीं होगा कि वनमंडला अधिकारी के रासूक के सामने उच्च अधिकारी भी कुछ कहने को तैयार नहीं है!
प्रतिबंधित कीटनाशक दवाइयों कि हुई 15 लाख की खरीदी
वन मंडल अनूपपुर में जनवरी 2023 से पदस्थ वन मंडल अधिकारी एस.के. प्रजापति द्वारा निरंतर अपनी पदस्थापना के उपरांत शासन के नियमों के विरुद्ध अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वन मंडल अनूपपुर में पदस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों पर अनावश्यक रूप से दबाव बनाकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है जिसमे कृषि में उपयोग होने वाली प्रतिबंधित कीटनाशक दवाइयों की लगभग 15 लाख की खरीदी नियम विरुद्ध की गई एवं अधीनस्थ वन अमले पर उक्त दवाइयों के छिड़काव को जंगल में करवाने हेतु अनावश्यक दबाव बनाया गया प्रतिबंधित कीटनाशक दवाइयां की जंगल में क्या उपयोगिता है यह बेहद गंभीर संधिगता से परिपूर्ण व भ्रष्टाचार का मामला है। इस तरह वन मंडलाधिकारी द्वारा लगातार भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है और सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है!
यह था मामला
मुख्य वनसंरक्षक शहडोल के समक्ष सभी वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा लिखित आवेदन देते हुए बताया कि वन मण्डल अनूपपुर अन्तर्गत पदस्थ हम समस्त वन परिक्षेत्राधिकारी अत्यधिक विषम परिस्थिति में विवश होकर श्रीमान् को सूचित कर रहे हैं कि श्री एस. के. प्रजापति, वन मण्डलाधिकारी अनूपपुर के द्वारा पिछले कुछ माह से हम सभी वन परिक्षेत्राधिकारियों के विरुद्ध अनावश्यक पत्राचार किया जा रहा है। साथ ही अनैतिक व अनुचित कार्यों के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। हमारे द्वारा निष्ठापूर्वक शासकीय कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है, किन्तु वन मण्डलाधिकारी अनूपपुर द्वारा क्षेत्रीय प्रवास एवं समीक्षा बैठक के दौरान द्वारा हमारे ऊपर लापरवाही का आरोप तथा सार्वजनिक रूप से अशोभनीय, अनुचित व अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर मानसिक प्रताड़ना कि जा रही है। साथ ही सरकारी पैसों का गलत उपयोग करते हुए ठेकेदार के साथ मिलकर खरीदी के नाम कई भ्रष्टाचार किए गए हैं यदि गंभीरता से जांच हुई तो लगभग करोडो के भ्रष्टाचार का उजागर होगा और सरकारी पैसों का दोहन रोका जा सकेगा किस तरह सप्लाई व दबाव बनाकर वन मंडल अधिकारी रिटायरमेंट के पहले स्वहित देखते हुए वन क्षेत्र के साथ जिस प्रकार नाइंसाफी की जा रही है उक्त मामले पर उच्च अधिकारियों की शांति व कार्यवाही न होने पर कई प्रश्न चिन्ह खड़ा करता दिखाई दे रहा है ऐसे में वन परिक्षेत्र तो प्रभावित हो ही रहा है साथ ही सरकारी कार्य भी प्रभावित हो रहा है!
सरकारी खजाना चढ़ रहा भ्रष्टाचार की भेंट
भ्रष्टाचार का मामला यहीं खत्म नहीं होता वनमंडला अधिकारी के जितने कारनामे अखबार के माध्यम से बताएं जा रहे हैं उतने भी कम है जिस प्रकार सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं ना कहीं रिटायरमेंट होने के पहले साहब सरकारी राशि का बंदरबाट कर करोड़पति बनने का सपना साकार कर चुके हैं यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इसी कड़ी पर अमरकंटक वन विद्यालय में वन परिक्षेत्र अमरकंटक में पदस्थ प्रभारी परीक्षेत्र अधिकारी के पुत्र के नाम पर रजिस्टर्ड बोलेरो वाहन को नियम विरुद्ध माह फरवरी 2023 से जुलाई 2023 तक लगाकर वाहन का किराया व डीजल प्रतिमाह ₹38000 के हिसाब से भुगतान किया गया । इसी कड़ी में 5 अप्रैल 2023 को भी अपने कार्यों को लेकर जमकर अखबारों में सुर्खियां बटोर थे साहब व्योवहारी में मुख्यमंत्री के आगमन पर जिला यूनियन सहकारी समितियों के अंतर्गत तेंदूपत्ता संग्राहकों को खिलाएं गए खाने में किये गये भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत, श्याम ट्रेडर्स शहडोल से ₹981000 के खरीदे गए फायर सूट, लीफ ब्लोअर, हेलमेट, जूते आदि की खरीदी में अनियमितता का मामला, वृक्षारोपण में फेंसिंग कार्य करने हेतु ₹4000000 की चैन लिंक जाली की खरीदी में भ्रष्टाचार के तथ्य उजागर हुए हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि एस. के. प्रजापति मई 2024 में सेवानिवृत होने वाले हैं इसीलिए सेवानिवृत होने के पूर्व निज स्वार्थ सिद्धि हेतु उनके द्वारा मनमाने ढंग से शासकीय खजाने की लूट कर भ्रष्टाचार को भेंट चढ़ाई जा रही है।
जांच के बाद भी अटकी रिपोर्ट व कार्रवाई
श्री प्रजापति की पदस्थापना के बाद से ही अपने अधीनस्थ कर्मचारी व वन परिक्षेत्र अधिकारियों पर जिस तरह दबाव बनाया जा रहा था जिसकी जानकारी वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा मुख्य वन संरक्षक के सामने समय-समय पर मौखिक रूप से अवगत कराया गया है, किन्तु अब वन मण्डलाधिकारी अनूपपुर द्वारा दी जा रही अत्यधिक प्रताड़ना के कारण उनके अधीनस्थ रहकर शासकीय कर्तव्यों व दायित्वों के निर्वहन में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी विषम परिस्थिति के कारण उत्पन्न मानसिक एवं अनुचित दबाव में हम सभी परिक्षेत्राधिकारी के साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है।
स्वच्छ भारत अभियान योजना के कार्यों को भी कर रहे अवरुद्ध
वन मंडल अधिकारी अनूपपुर के द्वारा नगर पालिका परिषद कोतमा देश की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत कचरा प्रबंधन जैसे राष्ट्रव्यापी एवं राष्ट्रहित की योजना के कार्यों में अवरोध उत्पन्न कर बाधा डाली जा रही है, इस कारण जनता के हित के कार्यों को करने में नगरीय निकायों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था!
जांच के बाद भी कार्यवाही लंबित, तो क्या मिल रहा उच्च अधिकारियों का संरक्षण...?
वनमंडल अधिकारी के खिलाफ जिस प्रकार भ्रष्टाचार और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर मानसिक प्रताड़ना करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं उससे यह प्रतीत हो रहा है कि साहब की जो मर्जी होगी वही करेंगे और इस तरह संवेदनशील शिकायत की जांच होने के बाद भी कार्यवाही न होने से यदि स्थिति ऐसी बनी रही तो वह दिन दूर नहीं की सरकारी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने पर कोई कसर नहीं छूटेगा साथ ही ऐसे उच्च पद पर बैठे वनमंडला अधिकारी को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रताड़ित करना व गलत कार्य करने के लिए मजबूर करना पद की गरिमा को भी कलंकित करती है ऐसी परिस्थितियों मैं उच्च अधिकारियों को मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे अधिकारी का अन्यत्र जगह ट्रांसफर करते हुए बारीकी से जांच कर कार्यवाही करते हुए भ्रष्टाचार का सफर तत्काल खत्म करते हुए पूर्ण विराम लगा देना ही उचित होगा!
जांच के बाद भी मामला शून्य, मंडल अधिकारी को खुली छूट
वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा की गई शिकायत पर जांच टीम द्वारा जांच की गई लेकिन महीनो बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी प्रकार का उच्च अधिकारियों द्वारा नहीं लिया गया जो कहीं ना कहीं वन मंडल अधिकारी की ऊंची पकड़ को दर्शाता खरीदी में किए गए भ्रष्टाचार की भी शिकायत होने के बाद भी जांच उपरांत कार्रवाई न होना उच्च अधिकारियों द्वारा खुली छूट देने के बराबर है साथ ही सभी क्षेत्रों में कार्य प्रभावित हो रहे हैं और वन मंडलाअधिकारी अपने रवैया से बात आते नहीं दिखाई दे रहे हैं!
इनका कहना है
हमारे द्वारा जांच की गई थी जांच कर रिपोर्ट भोपाल सतर्कता अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई है इस विषय पर वही कुछ बता पाएंगे!
एस.के गुप्ता
सी.एफ कार्यआयोजना शहडोल
इस विषय में जांच टीम द्वारा जांच की गई है जो भी कारवाही होनी है भोपाल से होना है!
एल.एल उइके
सीसीएफ शहडोल
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