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Tuesday, July 2, 2024

संवेदनशील कमिश्नर व कलेक्टर के निर्देश के बाद एसडीएम कोतमा ने अवैध प्लाटिंग पर नोटिस काट मांगा जवाब

 


संवेदनशील कमिश्नर व कलेक्टर के निर्देश के बाद एसडीएम कोतमा ने अवैध प्लाटिंग पर नोटिस काट मांगा जवाब



 अवैध प्लाटिंग पर जांच कर उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे रिपोर्ट



 इंट्रो :-खबरों के माध्यम से अवैध प्लाटिंग के माध्यम से शासन को लगभग करोडो के राजस्व का चूना लगाया जा रहा था हमारी टीम द्वारा अवैध प्लाटिंग मामले में प्रमुख सरगनाओ व किए गए अवैध प्लाटिंग मामले पर संभाग के संवेदनशील कमिश्नर व जिले के कलेक्टर को खबरों के माध्यम से मामले की जानकारी दी गई थी जिसमें मामले को संज्ञान लेकर उच्च अधिकारियों द्वारा एसडीएम कोतमा को जांच करने के निर्देश दिए गए थे उसे निर्देश के परिपालन में एसडीएम कोतमा द्वारा नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया गया है जिसकी समस्त रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी!



अनूपपुर(प्रकाश सिंह परिहार):- किसी कॉलोनी के निर्माण में कॉलोनी  का रेरा, कालोनाइजर पंजीयन, डायवर्सन, ग्रीन जोन, ईडब्ल्यूएस श्रेणी मकान ,रजिस्ट्री,जीएसटी,आयकर तमाम प्रक्रियाओं में शासन को करोड़ों का राजस्व मिलता है सिर्फ एक कॉलोनी से प्रबुद्ध जनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले में आधा सैकड़ा से अधिक अवैध कॉलोनी है जिनमें लगभग दो दर्जन तो कोतमा नगर के आसपास ही हैं..!! ऐसे में शासन को राजस्व का कितना नुकसान हुआ इसका अंदाजा हर कोई लगा सकता है अनूपपुर कोतमा पर भी कार्यवाही की दरकार लगातार लगाई जा रही है ऐसा नहीं है कि अनूपपुर कलेक्टर सक्षम नहीं है पर कई बार यह होता है कि निचले स्तर के राजस्व अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों तक इस प्रकार के मामलों को पहुंचने नहीं देते  अनूपपुर जिले के लोकप्रिय कलेक्टर से अपील की जा रही है कि अवैध प्लाटिंग और भू माफिया पर कार्यवाही की मुहिम शहडोल की भांति अनूपपुर में भी चलाई जाए जानकारी के बाद संवेदनशील कलेक्टर द्वारा एसडीएम कोतमा को जांच के निर्देश जारी कर जांच रिपोर्ट मांगी गई है !


 बहुचर्चित है मंसूर की अवैध प्लाटिंग का खेल 



 कोतमा शहर से लेकर गांव तक अनुमति के बगैर जमीन की अफरा तफरी को अंजाम दिया जा रहा। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के बिना कई एकड़ खेती वाली जमीन भी बेची जा रही है। वार्ड क्रमांक -07 मयूर ढाबा के पीछे में मंसूर द्वारा अपनी खेतिहर भूमि पर अवैध तरीके से बिना परमिशन के प्लॉटिंग कर डायवर्सन की भूमि को खंड- खंड कर बेचा जा रहा है जो कि नियमों के बिल्कुल विपरीत है। सरकार से टैक्स की चोरी कर राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से प्रशासन को चूना लगाने का काम किया जा रहा है। नपा द्वारा साठ -गांठ कर  खेत के मध्य से पहले तो शासकीय सड़क का निर्माण कराया गया और अब सड़क निर्माण के बाद जमीन के दाम आसमान पर चढ़ने पर उसे बिना परमिशन अवैध तरीके से बेचा जा रहा है।


 इन जगहों पर जारी है अवैध प्लाटिंग क कारोबार 

वार्ड क्र.-08 मगरदहा टोला में रेरा एवं कॉलोनाइजर एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए लगभग 1 एकड़ कृषि भूमि में अवैध प्लाटिंग कर बिना डायवर्सन रजिस्ट्रार की सेटिंग से बेच दिया गया इसी प्रकार एसडीएम कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर लगभग 3 एकड़ की भूमि पर, जनपद के पीछे, निगवानी रोड चौराहा ,वार्ड नं 5 पुरानी बस्ती,वार्ड नं 4 मवेशी बाजार के पास,वार्ड 14 और 15 के साथ कलमुडी,हाईवे के अगल बगल पूरे जगह,गोहंद्रा ग्राम पंचायत में हाइवे के बगल में, ग्रीनलैंड स्कूल के आगे शुक्ला डाबा के पहले परिचुआ, रीवा हाउस के पास, बंजारा चौराहा से रेउला रोड में अवैध प्लाटिंग कर शासन व सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है!


 आदिवासियों के जमीन भी नहीं सुरक्षित 



यहां पर भू माफियाओं की नजर- एन एच 43 के बगल में जंगल चौकी के निकट ग्राम कल्याणपुर पटवारी हलका कल्याणपुर रा. नि. मं. व तहसील कोतमा जिला अनूपपुर में आ. ख. नं. 295/2/1 रकवा 1.472 हे., आ. ख. नं. 296/9/ख रकवा 0.303 हे., ख. नं. 296/9/ग रकवा 0.303 हे., ख. नं. 296/11/क रकवा 0.636 हे., ख. नं. 297/8 रकवा 0.607 हे., ख. नं. 295/3/क/च रकवा 0.024 हे. भूमियों पर अजीमुद्दीन के द्वारा खरीदी-बिक्री  खेल कर राजस्व अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर अपने पुत्रों के नाम पर दर्ज करवा दी गई और अब इन भूमियों पर  अवैध कब्जा कर के अच्छा खासा गोदाम बना के अपने शौक के लिए कार्य लगातार कर रहे हैं। ग्राम कल्याणपुर पटवारी हलका कल्याणपुर की ख. नं. 295,296,297 की भूमियां वर्ष 1958-59 की वार्षिक खतौनी जमाबंदी में वर्ग 06 गैर हक़दार काश्तकार अंकित कर कोसई भरिया, गुरजुल भरिया, छोटू अहीर, भुलई अहीर, दद्दी अहीर, मोहन अहीर, सरला भरिया व जैराम केवट के नाम दर्ज हैं। उक्त भूमियों के तीन भूमि स्वामी आदिवासी व शेष अहीर व केवट जाति के थे लेकिन आदिवासियों की ज़मीन की इस तरह से खरीद फरोख्त और किसी अन्य के नाम पर नामांतरण होना समझ से परे है। एक ओर नियमों की बात करें तो आदिवासियों के नाम दर्ज भूमियों की खरीदी-बिक्री लगभग संभव नहीं और यहा सेम उल्टा है राजस्व अधिकारियों व पटवारियों की मिलीभगत से इन भूमियों पर भारी विसंगति की है और शासन की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया है!

जेल सजा का है प्रावधान

नियम अनुसार अवैध प्लाटिंग मामले में अवैध कॉलोनाइजर की श्रेणी में रखते हुए अपराध पंजीबद्ध करने का प्रावधान है राजस्व अधिकारी अथवा जिला कलेक्टर जांच उपरांत संबंधित थाने को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्राचार कर सकते हैं। सजा के प्रावधान के बाद भी भू माफियाओं के हौसले इसलिए बुलंद है क्योंकि वह माफिया अपने गुर्गे अथवा वास्तविक भू स्वामी किसान को सामने रखकर अवैध प्लाटिंग के इस  कारोबार को अंजाम देते हैं, बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग करते हुए सफेद पोस माफियाओं ने करोड़ों की संपत्ति अर्जित किये है!

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