माता एवं प्रकृति निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति -एक पेड़ मां के नाम
अनूपपुर (बिजुरी) :-भारतीय जनता पार्टी मंडल बिजुरी के अध्यक्ष भूपेन्द्र महरा मंडल महामन्त्री रविन्द्र शर्मा(रिंकु)मितेश मित्तल(चप्पु) ने बताया कि माता और प्रकृति निःस्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति है। मातृशक्ति और प्रकृति के सवंर्धन के उद्देश्य से विष्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून 2024 को एक पेड़ लगा कर "एक पेड़ मां के नाम" अभियान का शुभारंभ किया था। जो कि 23 जून से 6 जुलाई तक चलेगा ।नगरपालिका क्षेत्र बिजुरी में निवासरत आप सभी नगरवासियों से विन्रम आग्रह है कि मातृशक्ति के सम्मान एवं पर्यावरण संरक्षण के इस महत्वपूर्ण अभियान से जुड़ कर अधिकाधिक संख्या में वृक्षारोपण करे व हरित बिजुरी, सम्रद्धि बिजुरी के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। "एक पेड़ मां के नाम" प्रतीक है आदर का,सम्मान का ,कर्तव्य का,निष्ठा का आइये कदम बढाइये और एक पेड़ मां के नाम लगाइए। पर्यावरण संरक्षण जीवन को सुरक्षित करने जैसा है।स्वस्थ पर्यावरण ही सुरक्षित सम्रद्धि शसक्त जीवन की गारंटी है। पेड़ मानव जीवन के लिए वैसे ही जरूरी है जैसे जलीय जीव के लिए जल अगर हम स्वस्थ रहना चाहते है तो पर्यावरण और प्रकृति का ध्यान रखना होगा। जीवन के लिए जो जरूरी हैं वह ईस्वर ने हमे निशुल्क दिया है।अब आवश्कता है हमे इसके सरंक्षण करने की।चाहे ऑक्सीजन की बात हो चाहे वातावरण का ताप नियंत्रण करना हो चाहे मिट्टी का कटाव रोकना हो चाहे हानिकारक किरणों का अवशोषण करना हो चाहे अच्छी वारिश की बात हो इन सभी के लिए पेड़ो का होना अतिआवश्यक है। पेड़ जीव के जीवन का आधार है।इनके बिना जीवन संभव नही है।जलवायु परिवर्तन के कारण ही अत्यधिक गर्मी बढ़ रही है। तापमान में भारी वृद्धि हुई है। पेड़ वातावरण का ताप नियंत्रित करते है। अधिक पेड़ लगाना तापमान को सीधे कम करने और जीवन बचाने का सबसे सस्ता,सबसे तेज और सबसे प्रभावी तरीका है। पर्याप्त पेड़ होने से तापमान नियंत्रित रहता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अहम पहल है। क्योंकि जीवनदायिनी ऑक्सीजन का एक मात्र स्वोत् वृक्ष ही है। मानव जीवन वृक्षों पर ही निर्भर है। यदि वृक्ष नही रहेंगे तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जायेगा। किसी भी राष्ट्र या समाज अथवा संस्कृति की सफलता वहा के निवासियों की केवल भौतिक सम्रद्धि में निहित नही होती बल्कि वहा की जैव विविधता पर निर्भर होती है। भारतीय वन सम्पदा दुनिया भर में अनूठी एवं विशिष्ट है।हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज,तीज-त्योहार सब पकृति पोषित है। जंगल ही है जो जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को कम करने की क्षमता रखते है। जिसके लिए वृक्षारोपण बेहद जरूरी है। इसी से सुधार सम्भव है।पेड़ पौधे कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन देने में महती भूमिका निभाते है। यह प्रक्रिया पकृति में संतुलन बनाये रखती है। जंगल ही हमे स्वक्छ जल और स्वस्थ मृदा के साथ साथ स्वक्छ पर्यावरण प्रदान करने का आधार प्रदान करते है। समाज मे वृक्षारोपण करने की आदत विकसित हो,तभी यह एक अभियान के रूप मे वृक्षारोपण को पोषित कर सामाजिक गतिविधि के रूप में स्थापित होगी क्योंकि उपभोग और विस्तार ने जंगलों को नष्ट कर दिया है। कम कर दिया है। समय रहते हमने अपनी इस मानवीय भूल को यदि नही स्वीकारा और अपने जीवन व्वहार को नही सुधारा तो पृथ्वी का जीवन अस्त्तित्व ही संकट में पड़ जायेगा। इसलिए जरूरी है कि समय रहते खुले वनों की संघन्ता को बढ़ाये। जहाँ-जहाँ सम्भव हो वहाँ-वहाँ पेड़ लगाए व सरंक्षण करे। सार्वजनिक स्थलों को चिन्हित कर या अपनी स्वयं की भूमि,खेत की मेड आदि में एक जनांदोलन के रूप में पेड़ लगाना है।सड़क किनारे,हॉस्पिटल मे,स्कूलों में,तालाबों के मेड में,खाली पड़ी जमीनों पर वृक्षारोपण कर उन्हें ग्रीन बेल्ट बनाया जा सकता है। एक बार पुनः नगरपालिका क्षेत्र बिजुरी में निवासरत आप सभी से विन्रम आग्रह है कि "एक पेड़ मां के नाम" अभियान से अधिकाधिक जुड़े और अपने इस्टमित्रो को भी इस अभियान में जोड़ कर एक पेड़ मां के नाम अपनी स्वेक्क्षा से अवस्यरूप से लगाये।
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